
हाटा (कुशीनगर)। तहसील हाटा में दिनांक 20 दिसंबर 2025 को आयोजित सम्पूर्ण समाधान दिवस के दौरान विभिन्न विभागों से जुड़ी कुल 20 शिकायतें एवं प्रार्थना पत्र प्राप्त हुए। प्राप्त शिकायतों के सापेक्ष केवल 2 मामलों का ही मौके पर निस्तारण हो सका, जबकि शेष 18 शिकायतें लंबित रह गईं। इससे एक बार फिर समाधान दिवस की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े हो गए हैं। प्राप्त विवरण के अनुसार सर्वाधिक शिकायतें राजस्व एवं पुलिस विभाग से संबंधित रहीं। राजस्व विभाग से कुल 7 शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से केवल 2 का निस्तारण किया गया, जबकि 5 मामले अभी भी अवशेष हैं। पुलिस विभाग से भी 7 शिकायतें प्राप्त हुईं, लेकिन एक भी शिकायत का निस्तारण नहीं हो सका और सभी 7 मामले लंबित बने हुए हैं। विकास विभाग से कुल 1 शिकायत प्राप्त हुई, जिसका निस्तारण नहीं हो पाया और वह भी अवशेष श्रेणी में दर्ज है। वहीं समाज कल्याण विभाग से इस समाधान दिवस में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई। इसके अलावा ‘अन्य’ श्रेणी के अंतर्गत 5 शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से किसी का भी निस्तारण नहीं किया गया और सभी 5 मामले लंबित हैं। संयुक्त राजस्व एवं पुलिस से संबंधित कोई भी शिकायत इस समाधान दिवस में प्राप्त नहीं हुई। कुल मिलाकर 20 शिकायतों में से मात्र 2 का ही समाधान हो पाना प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि समाधान दिवस का उद्देश्य जनता की समस्याओं का त्वरित निस्तारण करना होता है, लेकिन अधिकांश मामलों में शिकायतें सिर्फ दर्ज कर ली जाती हैं, उनका समयबद्ध समाधान नहीं हो पाता। खासकर पुलिस विभाग से जुड़ी शिकायतों का एक भी निस्तारण न होना आमजन में असंतोष को बढ़ा रहा है। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि भूमि विवाद, पैमाइश, कब्जा, रास्ता विवाद और पुलिस से संबंधित मामलों को लेकर लोग बार-बार समाधान दिवस में पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें केवल आश्वासन ही मिलता है। इससे लोगों का भरोसा कमजोर हो रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि लंबित मामलों की जांच कर संबंधित विभागों को शीघ्र निस्तारण के निर्देश दिए गए हैं और प्रयास किया जा रहा है कि अगली तिथि तक अधिक से अधिक शिकायतों का समाधान हो सके। समाधान दिवस की कार्यवाही के उपरांत तहसीलदार हाटा द्वारा शिकायतों का विवरण प्रमाणित किया गया। अब देखना यह होगा कि लंबित 18 शिकायतों पर प्रशासन कितनी गंभीरता से कार्रवाई करता है और आम जनता को कब तक वास्तविक राहत मिल पाती है।













